वैदिक काल को वैदिक सभ्यता या आर्य सभ्यता भी कहा जाता है
वैदिक काल को दो भागों में बांटा गया है 1. पूर्व वैदिक काल 1520 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व और 2. उत्तर वैदिक काल 1000 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व
पूर्व वैदिक काल
आर्य अर्ध खानाबदोश ग्रामीण लोग थे
जो मूलत: मद्ध एशिया के कैस्पियन सागर के आसपास के क्षेत्र में रहा करते थे
तथा हिंदुकुश पर्वत को पार करके चारागाह की तलाश में लगभग 1500 ईसा पूर्व में भारत आए थे
वे सबसे पहले पंजाब में आकर बसे बाद में पूर्व की तरफ चले गए और गंगा के मैदानों में फैल गए
वे स्वभाव से प्रकृति के प्रेमी थे
वे अग्नि, सूर्य, जल, वायु आदि की पूजा करते थे
उन्हें हिंदू सभ्यता का जन्मदाता कहा जाता है
आर्यों की छ: धार्मिक पुस्तकें हैं जिनमें उनकी आस्था रीति-रिवाजों और संस्कृति का पता चलता है
1. वेद – वेदों की संख्या 4 है
1. ऋग्वेद- यह सबसे पुराना वेद है तथा इस में ईश्वर की प्रार्थना के रूप में 1028 सूत्र है ऋग्वेद को विश्व का सबसे पुरानी पुस्तक माना जाता जाता है
2. सामवेद- यह संगीत से संबंधित वेद है
3. यजुर्वेद- यह वेद बलिदान धार्मिक अनुष्ठान तथा सूत्रों से संबंधित है
4. अथर्ववेद – यह चिकित्सा से संबंधित है
2. उपनिषद — यह भारतीय दर्शन तथा धर्म विज्ञान का मुख्य स्रोत है ज्ञात उपनिषदों की संख्या लगभग 108 है
3. ब्राम्हण- यह आर्यों के सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन पर प्रकाश डालता है
4. आरण्यक – वन पुस्तके ब्राह्मणों के निष्कर्ष भाग है यह रहस्यवाद तथा दर्शनशास्त्र पर महत्वपूर्ण शोध निबंध है
5. मनु स्मृति- मनु आर्यकाल में महान विधिवेत्ता थे तथा उनकी पुस्तक मनुस्मृति वंशानुगत राजा तथा उनकी प्रजा के कर्तव्यों के नियमों से संबंधित है
6. पुराण – ये संख्या में अट्ठारह है वे आर्य सभ्यता के धार्मिक तथा ऐतिहासिक घटनाओं को बताते हैं तथा इसमे किंवदंती, धार्मिक विधि, रीति रिवाज तथा नैतिक संहिता शामिल है
पुराण
मत्स्य पुराण
मार्कंडेय पुराण
भविष्य पुराण
भागवत पुराण
ब्रह्मांड पुराण
ब्रह्म वैवर्त पुराण
ब्रह्म पुराण
वामन पुराण
वाराह पुराण
विष्णु पुराण
शिव पुराण
अग्नि पुराण
नारद पुराण
पद्म पुराण
लिंग पुराण
गरुड़ पुराण
कूर्म पुराण
स्कंद पुराण